Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jul 2023 · 1 min read

बहादुर बच्चों

शीर्षक -बहादुर बच्चों
—————
गिरने से मत डरना तुम,
ठोकर हमको सिखाती है।
जीवन पथ में आगे बढ़ना,
ठोकर ही नई राह दिखाती है!

नन्हे -मुन्ने बच्चों सुन लो,
कभी नहीं मानना हार तुम।
पथरीले पथ में बढ़ते जाना,
एक दिन कामयाब होगे तुम।

अटल हिमालय सा डटे रहना,
जीवन के अंधकार में तुम।
एक दिन अपने साहस से ही,
धरा को रोशन करोगे तुम।

जीवन की नैया जब डोले,
खेवनहार बन जाना तुम।
चाहे लाख तूफ़ान भी आए,
अपने हौंसले से पार हो जाना तुम!

सुषमा सिंह*उर्मि,,
कानपुर

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 81 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Sushma Singh
View all
You may also like:
नवयुग का भारत
नवयुग का भारत
AMRESH KUMAR VERMA
नदी की मुस्कान
नदी की मुस्कान
Satish Srijan
बाबा साहब की अंतरात्मा
बाबा साहब की अंतरात्मा
जय लगन कुमार हैप्पी
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
कवि रमेशराज
*दिल में  बसाई तस्वीर है*
*दिल में बसाई तस्वीर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
🙏🙏
🙏🙏
Neelam Sharma
संघर्ष....... जीवन
संघर्ष....... जीवन
Neeraj Agarwal
*चाँदी को मत मानिए, कभी स्वर्ण से हीन ( कुंडलिया )*
*चाँदी को मत मानिए, कभी स्वर्ण से हीन ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
पवित्र होली का पर्व अपने अद्भुत रंगों से
पवित्र होली का पर्व अपने अद्भुत रंगों से
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
दिये को रोशन बनाने में रात लग गई
दिये को रोशन बनाने में रात लग गई
कवि दीपक बवेजा
*
*"वो भी क्या दिवाली थी"*
Shashi kala vyas
!! नववर्ष नैवेद्यम !!
!! नववर्ष नैवेद्यम !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
इतना ना हमे सोचिए
इतना ना हमे सोचिए
The_dk_poetry
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
जो सब समझे वैसी ही लिखें वरना लोग अनदेखी कर देंगे!@परिमल
जो सब समझे वैसी ही लिखें वरना लोग अनदेखी कर देंगे!@परिमल
DrLakshman Jha Parimal
2557.पूर्णिका
2557.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कैसे चला जाऊ तुम्हारे रास्ते से ऐ जिंदगी
कैसे चला जाऊ तुम्हारे रास्ते से ऐ जिंदगी
देवराज यादव
बंशी बजाये मोहना
बंशी बजाये मोहना
लक्ष्मी सिंह
ग़ज़ल/नज़्म - न जाने किस क़दर भरी थी जीने की आरज़ू उसमें
ग़ज़ल/नज़्म - न जाने किस क़दर भरी थी जीने की आरज़ू उसमें
अनिल कुमार
"चलना"
Dr. Kishan tandon kranti
अब तुझपे किसने किया है सितम
अब तुझपे किसने किया है सितम
gurudeenverma198
इंतजार बाकी है
इंतजार बाकी है
शिवम राव मणि
बिहार–झारखंड की चुनिंदा दलित कविताएं (सम्पादक डा मुसाफ़िर बैठा & डा कर्मानन्द आर्य)
बिहार–झारखंड की चुनिंदा दलित कविताएं (सम्पादक डा मुसाफ़िर बैठा & डा कर्मानन्द आर्य)
Dr MusafiR BaithA
रोकोगे जो तुम...
रोकोगे जो तुम...
डॉ.सीमा अग्रवाल
आखिर कब तक
आखिर कब तक
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
विनती
विनती
Saraswati Bajpai
मन में एक खयाल बसा है
मन में एक खयाल बसा है
Rekha khichi
खुद से खुद को
खुद से खुद को
Dr fauzia Naseem shad
बातें की बहुत की तुझसे,
बातें की बहुत की तुझसे,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
राखी
राखी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...