Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Aug 2024 · 2 min read

बहर के परे

सादर नमन🙏💐 प्रस्तुत हैं स्वरचित और मौलिक कविता जिसका शीर्षक है “बहर के परे ” ग़ज़ल में बहर का होना पारंपरिक शायर आवश्यक मानते हैं |बहर यानि की वह लय या माप जिसमें ग़ज़ल लिखी जाती है|लेकिन मेरे जैसे कुछ नये लेखक ग़ज़ल को बहर में लिखते वक्त अपने भावों के साथ समझौता नहीं करना चाहते |अपने भावों को ज्यों का त्यों लिख देना चाहते है उसी के लिये बंधन मुक्त होना चाहते है|बहर हम जैसों को आजादी प्रदान नहीं करती और हम ये बेड़िया तोड़कर ग़ज़ल में नवाचार करना चाहते है| इसी अंतरद्वन्द्व को दर्शाती मेरी यह कविता है|समीक्षा हेतु प्रेषित |

” बहर के परे ”

मैं नहीं सिमटाना चाहता
मेरी ग़ज़लों को बहर के दायरे में
क्यों समझौता करूँ मैं भावों से,
मेरे लफ़्ज़ हैं आज़ाद,
मैं जैसा हूँ, वो बयान करना चाहता हूँ। बहर के परे, एक ग़ज़ल का गाँव बसाना चाहता हूँ,

जहाँ मिसरों की पगडंडी हो,
हर शेर में बसी हो एक नयी दुनिया,
बिन बहर के खयालातों का समंदर हो,
और हर लहर में मिले रूह की आज़ादी।

कभी-कभी एक शेर, बस एक साँस की तरह हो,
तो कभी एक मिसरा, पूरी कहानी कह दे,
मैं नहीं चाहता ग़ज़लें बांधी जाएँ
किसी तयशुदा कड़ी में,
मैं चाहता हूँ, वो बहें,
जैसे बहती है नदी,
अपने रास्ते खुद बना लेती है।

मेरा सफर मिसरों की पगडंडी पर होगा,
जहाँ हर कदम पर नए अल्फ़ाज़ खिलेंगे,
और हर मोड़ पर मिलेगा
एक नया एहसास, एक नई दुनिया।

मैं बसाना चाहता हूँ
बहर के परे एक ग़ज़ल का गाँव,
जहाँ हर दिल की धड़कन हो एक लय,
और हर साँस में हो एक ग़ज़ल की नयी बयानी।

©ठाकुर प्रतापसिंह “राणाजी ”
सनावद ( मध्यप्रदेश )

Language: Hindi
79 Views
Books from ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
View all

You may also like these posts

झुमका
झुमका
अंकित आजाद गुप्ता
न ख्वाबों में न ख्यालों में न सपनों में रहता हूॅ॑
न ख्वाबों में न ख्यालों में न सपनों में रहता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
यही समय है, सही समय है, जाओ जाकर वोट करो
यही समय है, सही समय है, जाओ जाकर वोट करो
श्रीकृष्ण शुक्ल
" हुनर "
Dr. Kishan tandon kranti
गांव में विवाह होता था तो इस सीजन में होता था क्योंकि गेहूं,
गांव में विवाह होता था तो इस सीजन में होता था क्योंकि गेहूं,
Rituraj shivem verma
आँखों-आँखों में हुये, सब गुनाह मंजूर।
आँखों-आँखों में हुये, सब गुनाह मंजूर।
Suryakant Dwivedi
बढ़ती उम्र के साथ मानसिक विकास (बदलाव) समस्या और समाधान
बढ़ती उम्र के साथ मानसिक विकास (बदलाव) समस्या और समाधान
Bhupendra Rawat
राम सीता
राम सीता
Shashi Mahajan
इश्क इवादत
इश्क इवादत
Dr.Pratibha Prakash
मुक्तक -
मुक्तक -
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
गौरवशाली भारत
गौरवशाली भारत
Shaily
मौसम किसका गुलाम रहा है कभी
मौसम किसका गुलाम रहा है कभी
नूरफातिमा खातून नूरी
"समय बहुत बलवान होता है"
Ajit Kumar "Karn"
शक्ति और भक्ति आर के रस्तोगी
शक्ति और भक्ति आर के रस्तोगी
Ram Krishan Rastogi
काकी  से  काका   कहे, करके  थोड़ा  रोष ।
काकी से काका कहे, करके थोड़ा रोष ।
sushil sarna
#सुर आज रे मन कुछ ऐसे सजा
#सुर आज रे मन कुछ ऐसे सजा
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*आजादी अक्षुण्ण हो, प्रभु जी दो वरदान (कुंडलिया)*
*आजादी अक्षुण्ण हो, प्रभु जी दो वरदान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मफ़उलु फ़ाइलातुन मफ़उलु फ़ाइलातुन 221 2122 221 2122
मफ़उलु फ़ाइलातुन मफ़उलु फ़ाइलातुन 221 2122 221 2122
Neelam Sharma
न रोको यूँ हवाओं को...
न रोको यूँ हवाओं को...
Sunil Suman
धुप साया बन चुकी है...
धुप साया बन चुकी है...
Manisha Wandhare
शीर्षक - संगीत
शीर्षक - संगीत
Neeraj Agarwal
पुराने दोस्त वापस लौट आते
पुराने दोस्त वापस लौट आते
Shakuntla Shaku
पापा
पापा
Ayushi Verma
3251.*पूर्णिका*
3251.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पेड़ पर अमरबेल
पेड़ पर अमरबेल
Anil Kumar Mishra
"रिश्तों के धागे टूट रहे हैं ll
पूर्वार्थ
छुआ  है  जब  से मैंने उम्र की ढलान को,
छुआ है जब से मैंने उम्र की ढलान को,
Dr fauzia Naseem shad
अगर कभी....
अगर कभी....
Chitra Bisht
तन्हाई
तन्हाई
ओसमणी साहू 'ओश'
इश्क़ ज़हर से शर्त लगाया करता है
इश्क़ ज़हर से शर्त लगाया करता है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...