बहन
बहन
वो,मेरे संग-संग खेली बचपन की गलियों में,
साझा किया हर एक सपना और तन्हाई का पल।
उसकी हंसी में छिपा है जादू, दिल को छूने वाला,
हर दुःख को वो मानो बना दे खुशियों का सवाल।
राखी की थाली में बंधा है, प्यार का अटूट बंधन,
उसके बिना दुनिया की राहें लगती हैं बेतरतीब, अनजान।
राखी के दिन हर साल, सजती है उसकी झलक,
राखी की डोर में छुपा है प्रेम, हर दिल की एक मृदुल झलक।
जब-जब छिड़ते हैं हम आपस में झगड़े और तकरार,
उसकी चिढ़ और मेरी झुंझलाहट, फिर भी ये है प्यार का आधार।
हर गुस्सा, हर तकरार, बस बन जाती है एक याद,
सुलझा लेते हैं सब बातों को, बनाते हैं रिश्ते की नयी आदत।
उसकी मुस्कान में बसी है दीपावली की रौशनी,
हर बंधन में मिलती है सुख-शांति की मधुरता, उसकी अद्भुत संजीवनी।
हर चोटी पर उसकी मुस्कान, संग लाए सुख और समृद्धि,
बहन के बिना जीवन होता जैसे सुनसान, अधूरी बिन मंजील की राहें।
वो है घर में सब की दुलारी, मेरी प्यारी बहना,
हमारे घर की हरेक की धड़कन, हम सब की जान ।
संग-संग जीते हैं हम हर सुख और दुख के पल,
उसकी सलाह से सुलझ जाते हैं हर एक मुश्किल का हल।
वो है सच्ची दोस्त, प्यारी साथी और नन्ही सहेली,
उसके बिना हो जाता जीवन सुना, अधूरी हर एक खुशबू की राहें।
वो है मेरी प्यारी बहना