बहन, भाई
भाई पर कविता
में सुबह से मिठाई, नारियल लाई
भैया के लिए चन्दन राखी की थाली सजाई ।
लगाया मेने फोन ,,
आया दरवाजे पर कौन ?
मेने जब दरवाजा खोला
आवाज लगाते कोई बोला ।
देखा एक खड़ा डाकिया
न समझ पाई क्या वाकिया ।
देखकर मुझसे यह बोला
दीदी ,इस कागज पर कर लो दतख्त ,
सोचा मेने यह कैसा अजीब आया दस्तक ।
देखकर मैं तो घबराई
नयनो से आँशु उतराई ।
लिखा था मेरी प्यारी बहना
तू मेरे लिए अब मत रोना ।
तेरे लिए मेने भेजी चमचमाती राखी ,,
मुझे न देखकर मत होना उदासी ।
यदि मैं, देश के लिए हुआ कुर्बान ,
तो भाभी का रखना बहुमान ।
रो रो कर भैया की तस्वीर उठाई
चन्दन , नारियल ,राखी बन्दाई।
प्रवीण की आंखों में बहना भाई
लिखकर कलम भी तरसाई ।
✍प्रवीण शर्मा ताल
स्वरचित कापीराइट कविता
दिनांक 3/5/2018