कभी उन बहनों को ना सताना जिनके माँ पिता साथ छोड़ गये हो।
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कभी उन बहनों को ना सताना जिनके माँ पिता साथ छोड़ गये हो।
हो सके तो थोड़ा प्यार लुटाना उन पर,
उन के उदास बंजर दिल को थोड़ा सुकून मिलेगा।
जब कभी तीज त्यौहार आये तो नोता भिजवा देना अपनी बहनों के घर भी,
अगर घर ना बुला सको तो शगुन की मिठाई और कुछ कपड़े भेज देना उन के ससुराल ।।
बहन साल भर इंतजार करती है कि कब भाई के घर से न्यौता आयेगा और कब वो ससुराल से समय निकाल अपने घर जायेगी।
वही घर जो अब उस के भाई और भाभी का बन चुका है।
उसी घर को अपना समझ कुछ समय बितायेगी वो,
माँ की पुरानी अलमारी मे से माँ की पुरानी साडी पहन कर वो माँ को याद कर लेती है।
पापा की तस्वीर को निहार उन के प्यार का अहसास किया करती है ।
तो जब वो मायके से विदा हो ससुराल जाने लगे तो चुपचाप से कुछ पैसे उस की हथेली पर रख देना,
ठीक वैसे जैसे माँ किया करती थी।
उस की आँख से छलके प्यार के आँसू से सारी बुरी नजर धूल जायेगी।
तुम महसूस करना वो माँ के आशीर्वाद वाली बात बहन के प्यार में मिल जायेगी।
बहनें माँ बन कर जब भाई की नजर उतारती है तो सारी बुरी नजर जल जाती है बहन के प्यार से।
बुरा न लगाना अगर कभी वो बाप की तरह तुम्हारी गलती पर तुम्हें डांट दे या सर पर एक थप्पड़ मार दें।
समझ लेना की पापा का हक अदा कर रही है ।
क्योंकि बहनों को माँ बाप की जायदाद नही भैय्या भाभी का प्यार चाहिए होता है।
अगर भाभी प्यार से खाना बना कर खिला दे तो ससुराल की सारी थकान दूर हो जाती है।
अब वो जमाना नही की ननद घर में झगड़े कराने आये क्योंकि अब वो भाई ही कहा जो बहनों की बात मान जाये।
समय के बदलाव से सब बदल जाता है।
पर एक बेटी का दिल ससुराल से ज्यादा मायके को याद किया करता है।।
संध्या चतुर्वेदी
मथुरा, उप