बहते हुए लहरों पे
बहते हुए लहरों पे उसका नाम लिख आया हूं
उसे भूल जाने का एक नया तरकीब सीख आया हूं।।
कह दो उसे,अब ओ बेफिक्र होकर आएं-जाएं मेरे गलियों से
क्योंकि बिंदास होकर जीना उसके बेगैर सीख आया हूं।।
जब तक दिल टूटा ना था तब तक इश्क में था
अब हर चेहरा पढ़ने का कलां सीख आया हूं।।
नीतू साह
हुसेना बंगरा, सीवान-बिहार