बहते हुए पानी की तरह, करते हैं मनमानी
बहते हुए पानी की तरह, करते हैं मनमानी
अपने ही नादानी
खोता गया जवानी
रातों में नींद नहीं
दिन में रहे बैचेनी
हालत बद से बद्तर है।
फिर भी करते हैं मनमानी
रोना नसीब में लिखा है कहते ।
सब खोकर ,
जिंदगी को ठोकर।
जिंदगी को बेहतर बनाने ढंग कहते हैं
सब खोकर
बहते हुए पानी की तरह करते हैं मनमानी
-डॉ.सीमा कुमारी।
4-10-024की स्वरचित रचना है मेरी।