बहते हुए जल
झरनो के जल गिरकर धरा पर बह जाते हैं,
बहते हुए जलो में, कुछ बुलबुले बन जाते हैं,
जब आता हैं बसन्त ऋतू ,हरियाली छा जाती हैं,
बाग़ बगीचे के फूलों से,फुलवारी बन जाती हैं,
आम के पेड़ो में भी मीठे फल आ जाते हैं,
पतझड के पेड़ो में भी, फूल खिल जाते हैं,
बाबुल के पेड़ो पर बैठ, कोयल भी गीत सुनाता हैं,
काले बादल की घटा देख, मोर मस्त नृत्य करे हैं,
बादल से जब बरसे पानी,धरती अपनी प्यास बुझाए,
हल जोतकर खेतो में,किसान भी धान लगाए,
रात में टिमटिम जुगनू करते जुगनू मन को भाते हैं,
अँधेरी रात में चाँदनी हमको राह दिखती हैं,
तारे सब मिलकर साथ में प्रेम के गीत गाते हैं,
चन्दा देखे अपने चकोर को मन प्यास बुझाते हैं,