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17 Jun 2021 · 1 min read

बहता पानी__ शेर (श्रृंखला)

(१)
बहता पानी थमता नहीं।
मन एक जगह रमता नहीं।
होते स्वभाव सबके अपने अपने,
मुझे तुम जमे,तुम्हे में जमता नहीं।।
__________________________

(२)
पूंजी बिन व्यापार चलता नहीं।
धन होता पास वह हाथ मलता नहीं।
जलना था काम कंडे का जल चुका,
राख होने के बाद फिर जलता नहीं।।
(३)
अहंकार कभी संभलता नहीं।
परोपकारी राह बदलता नहीं।
कुदरत ने दिया रूप,चिंतन भी अनूप,
सामने वह दर्पण के बार बार संवरता नहीं।।
राजेश व्यास अनुनय

Language: Hindi
Tag: शेर
5 Likes · 4 Comments · 298 Views
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