बहकी बहकी बातें करना
बहकी बहकी बातें करना अच्छा लगता है।
बेबाक किसी पे मरना ,अच्छा लगता है।
किसी से उम्मीद नहीं संभाले हम को,
बस पी कर बहकना,अच्छा लगता है।
बहुत दिनों बाद जो देखा,उस चेहरे को,
अब चांद से बातें करना,अच्छा लगता है।
दुनिया किसी सिम्त, हमें जीने नहीं देती
यूं ही घुट घुट कर मरना, अच्छा लगता है।
वफ़ा का बोझ ,कांधे पे लिये फिरते हैं
बेवफा को याद करना, अच्छा लगता है।
सुरिंदर कौर