बस यूं ही कह दिया
कष्ट की इक रात को काटने में
न जाने कितना समय गुजर गया
सुख की हर रात को कभी मुझे
गिनती करने की जरूरत ही नहीं पड़ी
तन को धोता है तून प्राणी
मल मल के रोजाना
काश अपने मन को भी
ऐसे ही धोता रहेगा…
तो तेरा जीवन सफल हो जाएगा…
अजीत कुमार तलवार
मेरठ