बस यूँ ही…
बस यूँ ही 🤗
दिल में तेरे भी क्या बेक़रा़री सी है।
उस मुलाक़ात की यादग़ारी सी है।
जानलेवा रही है मुहब्बत सदा
साँस जो चल रही तेज आरी सी है।
हिज्र आया भला रास कब किसको जी
क्या तिरी जीस्त भी सुन हमारी सी है।
शख्सियत ख़ास रुतबा रुआबी बड़ा
शोख मासूम फूलों सी प्यारी सी है।
ये हुनर खूब ‘नीलम’ सा पाया तुने
हर किसी पे खुशी कुछ उधारी सी है।
नीलम शर्मा ✍️
हिज्र-अकेलापन