ग़ज़ल- बस मुझको नहीं बुलाया कर
ग़ज़ल- बस मुझको नहीं बुलाया कर
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बस मुझको नहीं बुलाया कर
मेरे घर भी तू आया कर
पिज़्ज़ा बर्गर के दीवाने
तू रोटी सब्जी खाया कर
तू भी ऊपर उठ जायेगा
लोगों को जरा उठाया कर
है कौन अमर इस दुनिया में
मत मरने से घबराया कर
वो रहता चार-दिवारी में
बागों में उसे घुमाया कर
मिलजुल कर हम सब रहते हैं
तू यूँ मत आग लगाया कर
‘आकाश’ नहीं ग़म पैठेगा
तू कभी कभी मुस्काया कर
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 05/09/2020