बस बाकी रहगे यादयाँ में
हुक्के पे कट्ठा भाईचारा
दाल चाट ने चूल्हा हारा
किसान ने पाणि का झारा
बस बाक़ी रहगे यादयाँ में
कोल्हू पे गुड़ और शक्कर
दो झोटयाँ की खुली टक्कर
हाल्ली खातर घी और शक्कर
बस बाक़ी रहगे यादयाँ में
पनघट पे पाणी ने जाती
झनकाती झाँझन, न्यौरी, पाती
अल्हड़ टोली गीत गाती
बस बाक़ी रहगे यादयाँ में
नाकु छोड़ काकड़ी अर काचर
गाम में ना थे नाम के माछर
रस्सी ते घिसदे पाड़छयां के पाथर
बस बाक़ी रहगे यादयाँ में
मंदर मस्जिद नहीं, दादा खेड़ा
खेलण ने आँगन अर वेहडा
तीज त्योहार पे ना कोय बखेड़ा
बस बाक़ी रहगे यादयाँ में