“बस फैसले के इंतज़ार में’
आन बान शान
फर्क नहीं
काल कोठरी या नीला अंबर
कट्टे का जलवा
अपराध बन अहंकार
दिर्घ अंतराल से पोषित
राज करता
कल भी आज भी
कह कानून को अंधा
कर अपराधियों की सेवा
मनोबल बढ़ाता
गवाहों का जाल
सत्य को बुझाता
और विवश देखता
बस फैसले के इंतज़ार में
आज भी संविधान
??
निर्दोष की जान
नहीं है कीमत
जो लड़ना चाहो
तो बुझाने को आतुर
पाप में लिप्त
फैला साम्राज्य
आज भी ……अपराध का……
©दामिनी नारायण सिंह