बस तेरा ही जयकारा
माॅ से ही जीवन है सारा ,
माॅ तुम जीने का सहारा
मेरे तो मन मंदिर में,
लगता माॅ का जयकारा ।
पाला-पोसा बड़ा किया
हमको पैरों पर खड़ा किया
जीवन अच्छा देने के लिए
माॅ तुमने मन को कड़ा किया।
हम कैसे कर्ज चुकाएं माॅ,
ये जीवन जो है संवारा —-मेरे तो….. [1]
हमको जीना सिखलाया है
सच का ही पथ बतलाया है
महापुरूषों-सा जीवन जीकर
धर्म, मर्म समझाया है।
त्याग, तपस्या, मेहनत संग
दिया संस्कार का है नारा — मेरे तो….. [2]
मेरे तो मन मंदिर में
बस तेरा ही जयकारा।
जयहिंद जय भारत
मौलिक अप्रकाशित स्वरचित—- आशीष श्रीवास्तव, भोपाल मप्र