बस तुम्हारे ही सपने संझोते रहे।
बस तुम्हारे ही सपने संझोते रहे।
बस तुम्हारे ही सपने संझोते रहे।
ख्वाब में भी तुम्हे ढूंढते रह गए।।
यूं तो हमको भी सबने है चाहा मगर।
हम तुम्हारे ही थे बस तुम्हारे रहे।।
अभिषेक सोनी
(एम०एससी०, बी०एड०)
ललितपर, उत्तर–प्रदेश