बस कुछ ही दिनों की बात है
हिन्दी कविता
? कोरोना का कहर ?
बस कुछ ही, दिनों की तो यह बात है
मानव जीवन पर, थोड़ी सी घात है l
दिन कठिन समय के है,निकल जाऐंगे
यकीन है, दिन फिर से बदल जाऐंगे l
दूर रहकर भी,अपनों के पास हैं हम
दूर उन्हीं से हैं, जिनके खास हैं हम l
दामन संयम का, हमें है थामना
मिलकर करना, कोरोना का सामना l
हे परीक्षा, नहीं हमें घबराना है
बात इतनी सी, खुद को समझाना है l
दर्द आज धरा का , उभर आया है
हे प्रभु , बस तेरी एक छाया है l
लो”अंकनी”करती आज विनय पुकार
रहो घर में ही, गर तुमको खुद से प्यार l
जय हिंद जय भारत
डॉ. किरण पांचाल ( अंकनी )