बस कुछ कदम और हैं
सह लो सह लो के थोड़े सितम और हैं
पास मंजिल है बस कुछ कदम और हैं
जो भी करना है कर लो अभी वक़्त है
ये न सोचो कि आगे जनम और हैं
तोड़कर हौसला ना यूँ मायूस हो
बाकी अब भी खुदा के करम और हैं
मैं भी आराम करता सफर में मगर
कुछ अधूरी सी सर पर कसम और हैं
रुक गए जो..जुदा उनके ग़म हैं मगर
रास्तों के मुसाफिर के गम और हैं