बस किसी तरह खुद को बचाते रहे!
212…….212……212……212
हम सभी गर्दिशों के …….हवाले रहे!
बस किसी तरह खुद को बचाते रहे!
दर्द औ मुफलिसी का ये आलम रहा,
दूर मुॅंह से हमारे ………..निवाले रहे!
जीत कर दारु खुश थी दवा थी दुखी,
लोग मरते रहे लब पे …….प्याले रहे!
मैं रहूँ मेरा कुनबा ……..सलामत रहे,
दीन दुखियों से ना उनके ….नाते रहे!
आज भी लोग खुशबू की आशा में हैं,
फूल ख़ाबों के ऐसे ……. खिलाते रहे!
जो दिल से हमारा कभी ……न हुआ,
हम उसी को ही अपना ….बनाते रहे!
एक ठग ने ठगा प्रेमी …..बनकर हमें,
लोग हंसते रहे औ’र ……..ठगाते रहे!
……. ✍ प्रेमी