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8 Oct 2017 · 1 min read

बस ऐसे ही

उलझन तड़फन बस ऐसे ही,
मेरा हृदय स्पंदन बस ऐसे ही !!

तेरी फ़िज़ूल बातें हैं काम की
मेरा रुदन क्रंदन बस ऐसे ही!!

तेरी बेरुखी भी लाखों सी है,
मेरा विनय वंदन बस ऐसे ही!!

तेरा पीतल भी अनमोल हुआ,
मेरा निखरा कुंदन बस ऐसे ही !!

मुझको तुझसे कोई काम नहीं,
ले मेरा अभिनन्दन बस ऐसे ही !!

हाथों में हाथ, साँसों में सांसें,
हो अपना गठबंधन बस ऐसे ही !!

ये मेरा गांव है जन्नत सरीखा,
और तेरा ये लन्दन बस ऐसे ही!!

“बेदर्दी ” मुझको राख मुबारक,
तेरा घिसा चन्दन बस ऐसे ही !!

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