बस इतनी सी चाह हमारी
✍️ शीर्षक ✍️
“बस इतनी सी चाह हमारी”
बस मन मंदिर कृष्ण मुरारी।
बस इतनी सी चाह हमारी।।
लौकिक सुख की नहीं है इच्छा
पाया गुरु से मैंने दीक्षा
मन में तेरा प्रेम जगा है
गर हो जाए मेरी परीक्षा
गुरु के ज्ञान ने गणिका तारी।
बस इतनी सी चाह हमारी।।
हर पल भरमाती है माया
करने तप से पवित्र काया
दुनियां को है मोह ने छीना
रग – रग हुआ अशौच अदाया
पवित्र प्रीति है पिय को प्यारी।
बस इतनी सी चाह हमारी।।
हे प्रभु! इच्छा पूरी कर दो
मानवता को मनुज में भर दो
जग माया से भ्रमित न होवे
पावन श्रद्धा का मंतर दो
“रागी” जी तन तुझपर वारी।
बस इतनी सी चाह हमारी।।
बस मन मंदिर कृष्ण मुरारी।
बस इतनी सी चाह हमारी।।
🙏कवि 🙏
राधेश्याम “रागी” जी
कुशीनगर उत्तर प्रदेश