बस अणु भर मैं बस एक अणु भर
बस अणु भर मैं बस एक अणु भर
पहचान है हमारी
एक अणु ख़ुश्बू हूँ, एक झोंका हवा का
बारिश की पहली
एक बूँद हूँ
धुँये का छल्ला हूँ, ठहरे पानी में तैरता
एक अक्श हूँ
बस कै़द करने की कोशिश
और सब तार तार
हवा में विलीन, एक अणु याद हूँ
सीनें की सीप में
छिपाया तो मोती हूँ
बस यही एक अणु, है पहचान हमारी
उलाहने की पेटी में
विष हूँ
अधरों पर जो रखा नाम
यादों के हर पल का
अमृत हूँ
~ अतुल “कृष्ण”