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19 Sep 2022 · 1 min read

बस्तों में मिलती अब शराब है

बस्तों में मिलती अब शराब है
***********************

हो गई शिक्षा पद्धति खराब है,
बस्तों में मिलती अब शराब है।

मानक मूल्यों की गिरावटें हैं,
पीने को आतुर सब तेज़ाब हैं।

पश्चिमी सभ्यता की मेहरबानी,
माहौल बिगड़ रहा बेहिसाब है।

फूल सी कोमल थी लड़कियां,
गिरवीं आन आबरू हिज़ाब है।

जन्मदिन पर्व की रुत देखिये,
जाम बीयर के दूर किताब है।

माँ-बाप लाचार और मौन हैं,
औलादें गर्म जैसे आफताब है।

संस्कृति – संस्कार हाशिये पर,
समझ से परे उलझा हिसाब है।

मनसीरत कहाँ रुकेगी दुनिया,
पहुँच से बहुत दूर ये ख़्वाब हैं।
***********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
63 Views
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