बस्ती दूर कहाँ थी मेरी नजर उठा के देखा तो होता
बस्ती दूर कहाँ थी मेरी उठा के नजर देखा तो होता
चूमता तेरे पावों को भी कदम तू एक चला तो होता
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सदके में तेरे वार दी जब मैने हस्ती तलक अपनी
बैठाता फ़लक पे भी तुझे जरा सा तू रुका तो होता
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कपिल कुमार
18/11/2016