बस्ती जलते हाथ में खंजर देखा है,
बस्ती जलते हाथ में खंजर देखा है,
हमने भी एक ऐसा मंज़र देखा है..
भाईचारे की धरती जो उपजाऊ थी,
हमने ऐसी ज़मी को होते बंजर देखा है..
राम रहीम जो संग रहते थे बरसों से,
रावण पलते उनके अंदर देखा है..
मुद्दत से जो दरख़्त खड़ा था साहिल पर,
उसके जलने पर खामोश समंदर देखा है..
(#ज़ैद_बलियावी)