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10 Jun 2023 · 1 min read

बस्ता

वो जो मुझ से कभी छूटा नहीं
वो जो मेरे साथ बचपन से रहा

मेरे अध्ययन के सफर के साथी
मेरे शून्य से शिखर के दर्शक

तु नये नये रूपो में मुझ से जुड़ा रहा
मेरे साथ ही सफर करता रहा

कभी मेरी पुस्तको को सम्भाला
कभी मेरे कपड़ो को सम्भाला
कभी मेरे सपनो को सम्भाला

स्कूल के पहले दिन से
कालेज के आखिरी दिन तक
तुम साथ रहे
तुम पास रहे

फिर शहर में भी साथ ही आऐ
पहली जाब के इन्टरव्यू में साथ रहे
मेरी फाइलो को तुम सम्भाला

भरी बरसात में
तेज धूप में
तत
तू कितना सच्चा है
तू मेरा बस्ता है

तू कल भी साथ था मेरे
तू आज भी साथ है मेरे

सुशील मिश्रा ( क्षितिज राज)

1 Like · 200 Views
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