बसहा चलल आब संसद भवन
बसहा चलल आब संसद भवन
(मैथिली काव्य)
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राजदंडक निसानी बनल,शिवजी कऽ गण ,
देखू बसहा चलल आब,नव संसद भवन ।
नंदी एलखिन्ह जेऽ,सेंगोल केऽ रूप बनौने ,
शिव करथिन्ह कल्याण,करु हुनक वंदन…
बनल लोकतंत्र केऽ मंदिर,अति सुंदर सदन ,
प्रजा आस लगौने छथि,कब सऽ बिछायल नयन।
संसद में पड़त आब तऽ,भोलेशंकर केऽ चरण ,
सत्यनिष्ठा से होयत, राजकाज सभ अप्पन…
शैव शक्ति धर्मदंड, ई तऽ पहिले सऽ अप्पन ,
शिव साक्षी बनल छथि,राजदंड कऽ जखन।
किआ देखब हम,बसहा केऽ अजाएब तखन ,
देखू बसहा चलल, आब नव संसद भवन…
मौलिक और स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – २६/०५ /२०२३
ज्येष्ठ ,शुक्ल पक्ष , षष्ठी ,रविवार
विक्रम संवत २०८०
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