बसन्त
मनहरण घनाक्षरी
बसन्त
ओढ़े पितांबर धरा
खिल उठी यौवनाई
लाल पलाश गुलाब
झूमती अंबराई।
हरे वर्ण पर्ण झूमे
तरुवर बेला छाई
रंग बिरंगे खग
लालिमा अंबर छाई।
सुनहरी दामिनी ले
मेघा नभ पर छाई
बरस भूमि पर
धानी चुनरिया ओढ़ाई
लाल ,हरा, नीला ,पीला।
बिखरा रंग घनेरा
सांझ हुई श्याम
गुलाबी हुआ सवेरा।
ललिता कश्यप गांव सायर
जिला बिलासपुर हि० प्र०