बसन्त पंचमी
बसन्त पंचमी का महोत्सव
चहुंओर फैली खुशियोंत्सव
पेड़ों को डालियाँ झूल उठी
क्या बच्चें या पक्षियों का खेल !
कहीं दूर से देखो बन्धु
सुनायी दी कू की अमराई
मानो जैसे वो दे रहा…..
निमंत्रण ऋतु के ऋतुराज को
सूर्य के देखो ऊपर की किरणे
कितने जगमग ज्योति विशाल
पक्षियों की चहचहाहट गूंज उठी
यह किलकारियाँ किस शैशव की !
मुरली बजी कान्हा के किस उपवन में
दिव्य सप्त स्वर राग धुन प्रकृति के
बढ़ – बढ़ आँगन चूमे वसन्त के घर
चलो आज करें पूजा वन्दन सब हम