बसन्त पँचमी
वसंत वीणा की कोई धुन है,,
झुली डालियों पर तरु की पत्ती पर फूल है।
संगीत शास्त्र में यह एक राग है,,
ऋतुओं में वसंत एक महाराज है ।
वसंत बरसात रूपी की चादर नही ,,
यह तो पीताम्बर पहने तितलियों की झन्कार है ।
मानो कन्हैया की वंसी की तान है ,,
ऐसा मेरा रंगमय भारत हिंदुस्तान है ।
भास्कर की किरणों में कई बिछी धरती पर जटाएं है,
ऊष्मा , आशावाद , श्रदा की झलक की महकाए है ।
आज से लिखे स्लेट पट्टी पर अक्षरारम्भ है,
जो है माँ सरस्वती का दिन वसंत है।
एक एक अक्षर इस तरह जानो,,
जैसे लयमय में बजे पियानो ।
करू सबको आज वसंत पंचमी का चरणों में शीश वंदन ,,
दिल से ❤ सबको मेरा हार्दिक अभिनंदन ।
आज से ही बना ले अच्छा हम नियम ,,,
प्रवीण भी बजाना सीखे हार्मोनियम ।
✍प्रवीण शर्मा ताल
जिला रतलाम
तहसील ताल
टी एल एम् ग्रुप संचालक