बसंत
बीत गयी है रात शीत की
अब सूरज उग आया है।
ऋतुओं के राजा वसंत का
भू पर शासन छाया है।।
नवल गात की कोमल पातें
ठुमक ठुमक लहराती हैं।।
रंग बिरंगी मस्त तितलियां
फूलों पर मंडराती हैं।
कलियों पर भंवरों की गुंजन
मधुर गीत अब गाया है।
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महक रही अब डाली डाली
यौवन मय है हरियाली।
पीपल, महुआ, नीम, वकायन,
खिली फूल की हर क्यारी।
हरसिंगार गुलाबी दिखता
गैंदा भी मुस्काया है।
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फुदक फुदक कर कोयल कूके
सबके मन को भाती है।
घोल रही कानों में मधुरस
लव संगीत सुनाती है।
मनमोहक अति सुन्दर मौसम
सब के मन को भाया है।
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अमुआ की डाली पर देखो
बौर सहज बौराया है।