बसंत
बसंत आया, बहार लाया
नवप्रभात संग हिय हर्षाया
अरुण की किरणें चमक रही
वन में चिड़िया चहक रही
मौसम ने नया चादर है बिछाया
कोयल ने नवगीत सुनाया
बसंत आया, बहार लाया
नवप्रभात संग हिय हर्षाया।
पेड़-पौधे सबरंग भरे
वन-उपवन में उमंग भरे
सप्तरंग सा छाया सबेरा
डाल-डाल पर खग का बसेरा
मयूर ने अद्भुत नाच दिखाया
देख-देख कर मन मुस्कुराया
बसंत आया, बहार लाया
नवप्रभात संग हिय हर्षाया।
वन-उपवन में छायी हरियाली
सोने सा चमक रही है डाली
शीतल हवाएँ चले सना-सन-सन
झरने झरते झर-झर-झर
पौधों ने नवपुष्प खिलाया
भौरों ने गन्धर्व रचाया
बसंत आया, बहार लाया
नवप्रभात संग हिय हर्षाया।
मौसम ने ली है अंगड़ाई
पौधों में हरियाली छाई
चिड़ियों ने घोसले बनाये,
वृक्षों में अपना भविष्य संजोए
पपीहे ने मधुर गीत सुनाया
खग-मृग ने अनुराग रचाया
बसंत आया, बहार लाया
नवप्रभात संग हिय हर्षाया।
-सुनील कुमार