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17 Feb 2021 · 1 min read

बसंत

नमन

कर बासन्ती श्रृंगार,सरसों हुई तैयार,रंगीला हुआ संसार ,यूँ छाया बसंत है।

भ्रमर मृदु गुंजार, तितलियों की बहार,भिन्न भिन्न उपहार, ले आया बसंत है।

झर गये पीत पात,कोंपल की ताक- झाँक,कलिका के खिलने से, मुस्काया बसंत है।

खगकुल कलरव, प्रीत की भी हलचल,देख-देख कर खुद,बौराया बसंत है।

17-02-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

1 Comment · 627 Views
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