बसंत
शीर्षक – बसंत
(1)
फूलो की बहार आई,
खुशियों की सौगात लाई।
खेतों में हरियाली छाई,
सरसो,जौ, गेहूं की फसल लहलहाई।
(2)
आम की बौर छाई,
प्रकृति ने दिल को गुदगुदाई।
रंग – बिरंगी तितली ने मंडराई,
मौसम की नजारों ने सबके मन को भायी।
(3)
बागों में बाहर छाई,
फूलों ने मुस्कुराई।
इत्र तित्र खुशबू बिखराई,
जिसे देख भौरे गुनगुनाई।
(4)
माघ महीना बसंत ऋतु आई,
सब के दिलो को मन को भायी।
मां सरस्वती की जन्म मनाई,
जीव जंतु पर ज्ञान बरसाई।
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रचनाकार कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बिलाईगढ़,बलौदाबाजार (छ.ग.)