बसंत बहार
बौरा गए आम
गूंजी कोयल की मधुर तान
सखी आ गयो बसंत
चलन लगे मदन बान
अली चुन रहे मकरंद
बहे मधुर पवन मंद
कवि रच रहे नए छंद
पंछियों की कलरव का आनंद
प्रिया प्रीतम का हो रहा नवमिलन
जैसे चकवा चकवी का हो रहा मिलन
पा रहे ओम परमानंद करके कई जतन
तन मन धन न्यौछावर कर रहे सारे जन
ओम प्रकाश भारती ओम्
बालाघाट , मध्य प्रदेश