बसंत पंचमी
बीत गया अब पतझड़
हरियाली दे रही अब दस्तक
हरियाली का होगा अब सरोकार
आया बसंत पंचमी का त्योहार ।।
बसंत में धरती ओढ़ लेती है
नए नए रंगीले लिबास
प्रकृति में भी आता नव यौवन
देखकर होता ये आभास ।।
बगीचों में बहार
फिर लौट आईं
सफेद गुलाबी पीले
रंग बिरंगे फूलों की सजावट
भवरों को पसंद आईं।।
सरसों के खेतों में
पीले फूल खिल गए
लग रहा मानो ईश्वर खुद
सोने की चादर बिछा गए ।।
गेहूँ की बालियाँ भी
अब खिलने लगेगी
आमों के पेड़ों पर
अब मांजर आ जाएगी ।।
हर तरफ़ रंग-बिरंगी
तितलियाँ मंडराएंगी
होगी सिर्फ हरियाली
ऐसी बसंत ऋतु आएगी ।।
आओ स्वागत करें हम
बसंत के आगमन का
मिलकर सब प्राणी
आज बसंत पंचमी मनाएं ।।
पीली सरसों का आज
हम सब करें अनुसरण
पीले वस्त्र धारण कर
मां सरस्वती का करें वंदन।।