बसंत पंचमी
देखो केसरिया चुनर से
सारी धरती सज आई
बसंत पंचमी आई
पीली पीली सरसों देख
धरती भी मुस्काई
टेसू छटा बिखेर रहे थे
तितलियां बागों में आई
रंग बिरंगे फूल देखकर
नई उमंग है छाई
आया बसंत
बदल गई ऋतुएं
धरा पर हरियाली छाई
गली मोहल्ले उड़ी पतंगे
आसमान रंग आई
पेड़ों पर कोयल कुहुकी
अब आम बौर की आई
कचनारों ने पंख खोल कर
पुरवा हवा चलाई
बिखरे महुआ की गंध
चारों ओर है छाई
पवन संग सब खेले होली
यह कैसी पुरवाई
धरती फिर रंग आई
मौलिक एवं स्वरचित
मधु शाह