बसंत पंचमी
कोयल कू कू जब करती है
सर्दी से तब राहत मिलती है
हरे भरे होने लगे है पादप पात
गौर गौरी मिल करते है बात
चहुँ ओर हरियाली है छाई
बसंत पंचमी खुशियाँ ले लाई
हवा बह कर गीत गुन गुनाती
सबके मन को है ऋतु भाती
प्रकृति कर रही सोलह श्रृंगार
सब मिल कर मनाओ त्यौहार