बसंत: तुम्हारे जैसा नहीं है
हर बार लोग बसंत को बस यही क्यों कहते रहते है,
बाड़े होकर मां के साथ कभी नही घुमा करते है,
छोटी फितरत के साथ पूरा जीवन यही लोग जिया करते है,
दूसरों के कुछ चंद लम्हों को मेलदार करने जरूर आया करते है।
हर गली, हर मोहल्ले मैं कुछ ऐसे ही चंद लोगो मिला करते है,
यह बसंत तो कमजोर है चलो इसे इस बार नीलम करते है,
यह लोग जयादातर कुछ उच्चे वर्ग के लोग होते है,
बारी उचाइयो को पाकर दूसरी की खिल्ली उड़ाते है।
बसंत का दिल मासूम है चलो इसका फायदा उठाते है,
इसके अच्छाई को लूटकर चलो मजा लेते है,
जहरीले लोग अक्सर जहरीले ही पाए जाते है,
यही है कुछ लोग जो इनका बेयापार बारे अच्छे से किया करते है।
बसंत लोगो से कम मिलता जुलता है तो चलो उससे घमंडी कहते है,
इनकी सोचा के बारे मैं कोई बताइएगा की इन्हे किया कहते है,
इनके सात अगर हां और ना मिलाए तो बारे अच्छे कहे जाते है,
थोड़ी ऊंचे सुर मैं बोले तो बड़े हो गाए कहते है।
– Basanta Bhowmick ( बसंता भौमिक )