बसंत की हरियाली
दृश्य लुभाना है कितना
देखो सुबह रवि की लाली
चहक उठी चिड़ियाँ पेडों पर
जब हुई सुबह मतवाली
कांधे पकड़ फावड़ा निकला
देखो घर से एक किसान
मौसम भी अलबेला कितना
नहीं हुआ है अभी घाम
करती कलरव नदिया प्यारी
है कोयल की कुक निराली
हैं फूलों पर भौंरे भी गुंजित
हर तरफ दिखे केवल हरियाली
है ऋतु बसंत यह पावन सुंदर
छटा भी इसकी कितनी निराली
बोले रोम रोम खिलती प्रकृति का
है कितनी यह सुंदर हरियाली