बसंत ऋतु
शोभित हैं ऋतुराज के, बासंती परिधान।
ऋतुओं के सरताज हैं,ऋषियों में सम्मान।
ऋषियों में सम्मान,आम राजा बौराया।
कोकिल की सुन कूक, पुष्प टेसू हरषाया।
कहें प्रेम कविराय, भ्रमर उपवन में मोहित।
खिलते पुष्प अनेक,नायिका मन में शोभित।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम