“बसंत ऋतु”
ऋतुराज का हुआ आगमन,
झूमे आम, कुसुमित डाली।
पीली सरसों लहर रही है,
खेतों में है हरियाली।
महक उठे हैं गाँव, गली सब,
नयी उमंगे हर मन में।
हवा बसंती चले मस्त हो,
थाप पड़े उसकी तन में।
चना, मटर, सरसो भी अब,
फूलों से कर रहे सिंगार।
गेंहू, धनिया, पालक, मूली,
हरियल चोला रहे निहार।
दुल्हन के सम सज गई धरती,
वन-वन हरियाली छायी।
प्रेम मुदित मन करता स्वागत,
प्रिय बसंत ऋतु आयी।