बसंत।
बसंत।
-आचार्य रामानंद मंडल।
ठूंठ मेहदी के गाछी।
निस्प्रान पड़ल ई गाछी।१।
भिनभिनाइ अइ पर माछी।
चुट्टी चढैत उतरैत गाछी।२।
आइल बसंत मधु मासी।
आइल प्रान मेहदी गाछी।३।
किसलय फूटल इ गाछी।
भिनभिनाइ अइ पर मधुमाछी।४।
चुट्टी नचैत मेहदी गाछी।
प्रानवान भेल मेहदी गाछी।५।
नवपल्लव तोड़ैत नव युवती।
श्रृंगार करैत नव युवती।६।
प्रेमी के रिझाबैत प्रेयसी।
कूक रहल हय कोयली।७।
बसंत बनल हय बसंती
रामा बसंत रितु प्रानदायनी।८।
स्वरचित @सर्वाधिकार रचनाकाराधीन।
रचनाकार -आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।