बवाल लिखा है।
बता मैं तुझे क्या लिखूं ए जिन्दगी।
खुदा ने तूझे खूब कमाल लिखा है।
ढूढ़ता थक गया जिन जवाबों को।
तुझे एसा कठिन सवाल लिखा है।
बरसते हैं गम यहां बारहों महीने।
आनन्द ऋतु का अकाल लिखा है।
जब देखो नये झंझावात चालू हैं।
न जाने तुझे क्या बवाल लिखा है।
-शशि “मंजुलाहृदय”