बलात्कार
अब बातों से कुछ न होगा,
और नियम अपनाए जाऐं
जब द्रोपदी का चीर हरण हो,
ध्रष्ट्रराज लटकाए जाऐं!!
जो कौरवों को राजमहल तक,
अक्सर लेकर जाते हैं
वो अपराधों की सीढ़ी का,
नया मार्ग बतलाते हैं
तब सीढ़ी चढ़ने से पहले,
पैर दुशासन के बांधबाए जाऐं
जब द्रोपदी का चीर हरण हो,
ध्रष्ट्रराज लटकाए जाऐं!!
पांच वर्ष क्या बोलें पांडव,
उनको तो अज्ञातवास पड़ा है
द्रोणाचार्य अब कहां खो गए,
आख़िर उनको क्यों मौन पड़ा है
इन कौरवों की निर्दयीता को,
धर्मराज कैसे-कैसे बतलाऐं
जब द्रोपदी का चीर हरण हो,
ध्रष्ट्रराज लटकाए जाऐं!!
सेनापति भी शामिल हैं,
अब द्रोपदी के चीर हरण में
उसका हिस्सा अलग रखा है,
एहसानों के नए चरण में
तब अर्जुन को गाण्डीव उठाने,
आख़िर किसके द्वारे जाऐं
जब द्रोपदी का चीर हरण हो,
ध्रष्ट्रराज लटकाए जाऐं!!
– अशांजल यादव