—- बलात्कार—-
कैसा यह राज है
जहाँ बलात्कार की भी पैरवी करते हैं लोग
शर्म से पता नहीं क्यूँ नहीं
यहाँ डूब के मरते हैं लोग !!
कर दिया उस के साथ अत्याचार
जी भर के कर दिया बलत्कार
न वो रही जीने के भी काबिल
उस के बाद दलील देते हैं यह जालिम !!
कैसे हो तुम देश के नेता
क्या इसी लिए लोग करते हैं भरोसा
छिन्न भिन्न करते हो अबला की अस्मत
उप्पर से धमकाते हो दिखा के अपने तेवर !!
सर्वनाश हो तुम जैसो का
जिस ने बर्बाद किया उस का जीवन
काश यह जुर्म तुम्हारे घर करे कोई
तभी मन शांत और सफल हो उस का जीवन !!
वो किस को जाकर बयां करे दर्द अपना
किस तरह से जिए खुद का जीवन
कर्म करते हो तुम गंदे गंदे
और फिर भी चाहते हो चलूँ सर उठा के करूँ मर्दन !!
किये के लेखा तो भुगतना होगा
यहाँ नहीं पर वहां तो हिसाब देना होगा
आज लज्जा से सर झुकाती होगी तुम्हारी भी माँ
किस मेरी कोख से कहाँ पैदा किया गन्दा यह तन !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ