Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jun 2021 · 1 min read

बर्षा सावन मे आई है सज-धज कर

बर्षा सावन मे आई है सज-धज कर
मेघ बदली से आये नहा धोकर|
मेघ के बीच दामिनी के खिलते सुमन
ले हिलोरें चले शीत लहरी पवन|
नदी नाले भी भर आये हैं नीर से
अश्रु बहकर नयन बन गये झील से
मन की इच्छा मिटा दो प्रकट होकर
बर्षा सावन मे आई है सज-धज-कर
मेघ बदली से आये नहा धोकर|
हर निशा मे जगूं जुगनुओं की तरह
दिन मे घूमा करूँ मजनुओं की तरह|
मै सुमन रास्तों पर बिछाता रहा
स्वप्न मे भी तुम्हे मै बुलाता रहा |
चली जाना प्रणय बीज तुम बोकर
बर्षा सावन मे आई है सज-धज कर
मेघ बदली से आये नहा धोकर|
रचयिता
रमेश त्रिवेदी
कवि एवं कहानीकार

4 Likes · 11 Comments · 538 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
अंसार एटवी
तिरंगा
तिरंगा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कोशिश करना आगे बढ़ना
कोशिश करना आगे बढ़ना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
4943.*पूर्णिका*
4943.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दोस्त
दोस्त
Shweta Soni
Sometimes goals are not houses, cars, and getting the bag! S
Sometimes goals are not houses, cars, and getting the bag! S
पूर्वार्थ
*दोहे*
*दोहे*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
समझदार मतदाता
समझदार मतदाता
Khajan Singh Nain
उषा का जन्म
उषा का जन्म
महेश चन्द्र त्रिपाठी
पत्रकारिता सामाजिक दर्पण
पत्रकारिता सामाजिक दर्पण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
जी रही हूँ
जी रही हूँ
Pratibha Pandey
तुम मेरी प्रिय भाषा हो
तुम मेरी प्रिय भाषा हो
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
तुम मेरे बाद भी
तुम मेरे बाद भी
Dr fauzia Naseem shad
ज़िन्दगी नाम है चलते रहने का।
ज़िन्दगी नाम है चलते रहने का।
Taj Mohammad
मुखौटे
मुखौटे
Shaily
वो ख्वाबों में आकर गमज़दा कर रहे हैं।
वो ख्वाबों में आकर गमज़दा कर रहे हैं।
Phool gufran
" बच्चे की दुआ "
Dr. Kishan tandon kranti
जीवन इच्छा
जीवन इच्छा
Sudhir srivastava
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
Dr. Man Mohan Krishna
सपनों में बिखरता जीवन
सपनों में बिखरता जीवन
कार्तिक नितिन शर्मा
कुछ भी
कुछ भी
*प्रणय*
* इस धरा को *
* इस धरा को *
surenderpal vaidya
मैं घर का मेंन दरवाजा हूं।
मैं घर का मेंन दरवाजा हूं।
manorath maharaj
कालः  परिवर्तनीय:
कालः परिवर्तनीय:
Bhupendra Rawat
बच्चे
बच्चे
MUSKAAN YADAV
नफसा नफसी का ये आलम है अभी से
नफसा नफसी का ये आलम है अभी से
shabina. Naaz
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
छंद मुक्त कविता : अनंत का आचमन
छंद मुक्त कविता : अनंत का आचमन
Sushila joshi
बुझे अलाव की
बुझे अलाव की
Atul "Krishn"
किसान
किसान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...