बर्षा रानी जल्दी आओ
बरखा रानी जल्दी आओ, तन मन की अब प्यास बुझाओ, बरखा रानी जल्दी आओ
तड़प रही है प्यासी धरती, आकर हरीभरी कर जाओ बरखा रानी जल्दी आओ
मोर नाचना भूल गया है, गौरैया भी प्यासी है
सूख रहा दिल का मधुबन,आकर तपन बुझा जाओ बरखा रानी जल्दी आओ
दादुर मोर पपीहा प्यासे, प्यासा है संसार
आओ झमाझम बरसो मेघा, साजन करे पुकार
बरखा रानी जल्दी आओ,
तन मन की प्यास बुझा जाओ
नदी है सूखी नाले सूखे, सूखे ताल तलैया
पर्वत का भी कंठ है प्यासा, बड़ा बाग हो रहा रुहांसा आकर अगन शांत कर जाओ,
बरखा रानी जल्दी आओ
सबके तन मन शांत करो, सब को खुश कर जाओ भूखा प्यासा है किसान, तुम खेत हरे-भरे कर जाओ बरखा रानी जल्दी आओ,
आकर सब की प्यास बुझाओ,
बरखा रानी जल्दी आओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी