बरस रहे है बदरा,तरस रहा है मेरा चंचल मन –आर के रस्तोगी
बरस रहे है बदरा,तरस रहा है मेरा चंचल मन |
जाके कहीं ओर बरसों,लगाओ न तुम अगन ||
पास नहीं है मेरे सजन,जल रहा है मेरा बदन |
शांत होगी ये अगन,जब आ जायेगे मेरे सजन ||
डरा रही ये बिजरिया,धडक रहा है मेरा मन |
ऐसे में वे कैसे आयेगे,मेरे प्यारे प्यारे सनम ||
अँधेरी है राते,सूझ रहे है मुझको ये सारे यतन |
बिजली तुम रास्ता दिखाओ,जो आ जाये सजन ||
थम कर बरसना बादलो,जो आ सके मेरे सजन |
जम कर बरसना बादलो,जो जा न सके मेरे सजन ||
करता है रस्तोगी प्रार्थना,सावन में हो सबका मिलन |
हर विरहणी को मिले,हर सावन में उसका भी सजन ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम मो 9971006425brs